السبت، 24 فبراير 2018

مملكة العشاق بقلم عماد الدين التونسي

ممْلكة العُشّاق.. !
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أتحدّث  ....
عن ليْلٍ بهيم ....
لمْلم  سوادَه ....
مانِحا فُرْصة ....
للصّباح ....
الجميع نِيام ....
على حدِّ السّواء ....
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أتحدّث ....
عن نُعاسٍ ثقيل  ....
غشِي أجْفان خائِفه ....
مِن إنْقِراضٍ سار..
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أتحدّث ....
عنِ شّمْسِي المُتعبة ....
من تحْضُن القُبّة  ....
من تتربّع .... 
عرْش الممْلكة ....
نورُها ....
أنْقذ الوُجود....
مِن جُرْم الفناء..
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أتحدّث .... 
عن طيْفِ الخُلود..
نظْرة صادِقة....
لِدِماءِ شهيدٍ ....
ساخِنة ِ.. !
قُبلة دافِئة .. !
لأِسيرٍ....
أوْسجينٍ ....
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أتحدّث  ....
عن صُور....
تُلوِّح ....
حُريّة.. !
وشوارِع....
بِدِماءِ الفاتِحين....
محْمِيّة.. !
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أتحدّث  ....
عن جلالٍ مُقدِّس ....
عن دُروبِ  المسيح....
عن نُقْطة إلْتِماس الحبيب....
بالسّماواتِ العُلا .. !
عن جبل المكبر العالي..
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  أتحدّث ....
عن همْس  المحبّة ....
عن  قُلوبٍ....
ترْفُضُ الكراهِيّة ....
والتّعصُّب ....
والطائِفيّة....
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  أتحدّث  ....
عن خُطب ....
دغْدغت....
عواطِف الغضب....
لِسِنين.. !
و نِعال اللِّعان.. !
بِرصاص التّهْجير.. !
  دنّست....
باحات الحزين.. !
حرقت ....
مِنْبر  الدِّين.. !
ونِعاق نكْراء.. !
هدّدت ....
أجْراسَ الكنيسة .. !
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أتحدّث  ....
عن هُراء....
قرار ..
الغاشِم ....
نقل السفارة.. !
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   أتحدّث ....
عن حُلْم الأحْرار....
عن عارِ الحِصار....
عن كفِّ النُواح....
عن نِسْيان الأنين....
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       أتحدّث ....
عن  من باتُوا....
في العراء....
مُنْتفِضين .. !
من كسّروا....
هيْبة الأعْداء ....
من دخلوا....
الأقْصى ....
مُكبّرين.. !
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  أتحدّث ....
عن دُستور.. !
كَتب....
مُنذ الأزل.. ! 
أنّ مفاتيح  القُبّة....
عُدّة .. !
بِالْمحبّة....
والسّلام....
والتّسامُح....
والتّعايُش....
والبِناء....
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  أتوعّد.. !
والْذِّي خلق مُحمّد.. !
لنْ يدوم.. !
لا مفاتيح القِيامة.. !
ولا الأقْصى الشّريف.. !
فالحجر....
والبشر....
والشجر....
يرفُضون ....
وُجودالخبيث.. !
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سوْف تُشْفى الجِراح....
  وتعودُ حبيبتي....
لي.. !
لِتنال وِسام....
ممْلكة العُشّاق.. !
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عماد الدِّين التونسي

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